आप जी-7 में किसी को घुसने नहीं देते थे. तो हमने कहा कि हम अपना क्लब ख़ुद बनाएंगे

ब्रिक्स के विस्तार के बारे में जयशंकर ने कहा, ''बीते कुछ सालों में हमने देखा कि कई और देश इससे जुड़ना चाहते हैं. हमने पिछले साल जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स के विस्तार का फ़ैसला किया. हमने नए देशों को न्योता भेजा. हम अगले महीने रूस के कज़ान में इस समूह की बैठक के लिए मिलने वाले हैं. ब्रिक्स के तहत हमने न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया. ज़रूरी नहीं है कि हर मुद्दे पर हमारी सोच एक जैसी हो.''

Sep 13, 2024 - 17:09
आप जी-7 में किसी को घुसने नहीं देते थे. तो हमने कहा कि हम अपना क्लब ख़ुद बनाएंगे

विदेशी मंचों पर भारत की विदेश नीति से जुड़ा सवाल हो या पीएम नरेंद्र मोदी के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गले लगाने का सवाल. जयशंकर के दिए जवाब ख़बरों और सोशल मीडिया पर चर्चा में आ जाते हैं.जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में ग्लोबल सेंटर फोर सिक्योरिटी पॉलिसी कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान जयशंकर से ब्रिक्स की ज़रूरत पर सवाल पूछा गया.ब्रिक्स ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ़्रीका की अगुवाई वाला समूह है.
दुनिया की जीडीपी में ब्रिक्स की हिस्सेदारी 27 फ़ीसदी की है. वक़्त के साथ इस समूह से जुड़ने वाले देशों की संख्या बढ़ी है और इसे अमेरिका की अगुवाई वाले समूहों के विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा है.
जयशंकर ने जवाब दिया, ''ईमानदारी से कहूं तो ब्रिक्स क्लब इसलिए बना क्योंकि जी-7 नाम का एक क्लब पहले से था. आप उस क्लब में किसी को घुसने नहीं देते थे. तो हमने कहा कि हम अपना क्लब ख़ुद बनाएंगे.''
जयशंकर ने कहा, ''हम अच्छे ख़ासे देश के अच्छे नागरिक हैं, जिनकी वैश्विक समाज में अपनी जगह है. ऐसे ही क्लब बनते हैं. ऐसे ही ये शुरू हुआ. दूसरे क्लब की ही तरह वक़्त के साथ ये खड़ा हुआ. दूसरों को भी इसकी अहमियत समझ में आई. ये एक दिलचस्प समूह है. दूसरे समूह भौगोलिक या मज़बूत आर्थिक कारणों से एक दूसरे से जुड़े होते हैं. मगर ब्रिक्स में रूस, चीन, ब्राज़ील, भारत, साउथ अफ़्रीका जैसे देश हैं. इन देशों में कॉमन ये था कि बड़े देश वैश्विक व्यवस्था में ऊपर उठ रहे हैं.''
ब्रिक्स के विस्तार के बारे में जयशंकर ने कहा, ''बीते कुछ सालों में हमने देखा कि कई और देश इससे जुड़ना चाहते हैं. हमने पिछले साल जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स के विस्तार का फ़ैसला किया. हमने नए देशों को न्योता भेजा. हम अगले महीने रूस के कज़ान में इस समूह की बैठक के लिए मिलने वाले हैं. ब्रिक्स के तहत हमने न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया. ज़रूरी नहीं है कि हर मुद्दे पर हमारी सोच एक जैसी हो.''

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