विशेष स्थानो के नाम को बदलने की भाजपाई परंपरा में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “महाराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन” रखने की मांग की

बल्कि इससे लोगों को अपनी विरासत और गौरवशाली इतिहास से जुड़ाव महसूस होगा. उन्होंने रेल मंत्री से आग्रह किया है कि वे इस पर गंभीरता से विचार करें और जल्द फैसला लें. इस बारे में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो वरिष्ठ नेताओं ने जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री का यह प्रस्ताव काफी सोच-समझकर दिया गया है और इसका उद्देश्य किसी राजनीतिक लाभ के बजाय सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना है. हालांकि, अभी तक रेलवे मंत्रालय की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.

Jul 1, 2025 - 18:09
विशेष स्थानो के नाम को बदलने की भाजपाई परंपरा में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “महाराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन” रखने की मांग की

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक अहम पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “महाराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन” रखने की मांग की है. मुख्यमंत्री का कहना है कि महाराजा अग्रसेन सिर्फ एक राजा नहीं थे, बल्कि समाज सेवा, समानता और न्याय के प्रतीक थे.उन्होंने अपने जीवन में हमेशा लोगों की भलाई और कल्याण के लिए काम किया, इसलिए उनके नाम पर इस ऐतिहासिक स्टेशन का नाम रखना एक उचित कदम होगा.रेखा गुप्ता ने यह पत्र 19 जून को लिखा था, लेकिन इसकी जानकारी अब सामने आई है. पत्र में उन्होंने कहा है कि दिल्ली एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर है और यहां के प्रमुख स्थलों और संस्थानों को ऐसे महान व्यक्तित्वों से जोड़ा जाना चाहिए, जिनका समाज पर गहरा प्रभाव रहा हो. महाराजा अग्रसेन ऐसे ही एक ऐतिहासिक चरित्र हैं, जिन्हें खासतौर पर अग्रवाल समाज में बहुत सम्मान दिया जाता है.मुख्यमंत्री ने आगे लिखा है कि यह कदम सिर्फ नाम बदलने तक सीमित नहीं होगा, बल्कि इससे लोगों को अपनी विरासत और गौरवशाली इतिहास से जुड़ाव महसूस होगा. उन्होंने रेल मंत्री से आग्रह किया है कि वे इस पर गंभीरता से विचार करें और जल्द फैसला लें. इस बारे में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो वरिष्ठ नेताओं ने जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री का यह प्रस्ताव काफी सोच-समझकर दिया गया है और इसका उद्देश्य किसी राजनीतिक लाभ के बजाय सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना है. हालांकि, अभी तक रेलवे मंत्रालय की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.

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