दुनिया के टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहर में भारत की राजधानी दिल्ली ने पाया प्रथम स्थान का बदनुमा तमगा!
भारतीय शहरों के चिंताजनक प्रदूषण आंकड़े दिवाली के एक दिन बाद और भयावह दिख रहे हैं. दिवाली के दिन पूरे भारत में जमकर पटाखे फोड़े गए. ये पटाखे वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले अहम फैक्टर्स में से एक हैं, और हर साल दिवाली पर पटाखे फोड़े जाने के बाद हवा की गुणवत्ता में बड़ी गिरावट देखी जाती है. आने वाले दिनों में दिल्ली को राहत मिलने की संभावना नहीं है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का अनुमान है कि हवा की गुणवत्ता 201 और 400 के बीच के AQI स्तर के साथ "बहुत खराब से खराब" श्रेणी में ही रहेगी.
भारत की राजधानी नई दिल्ली में हवा की क्वालिटी मंगलवार, 21 अक्टूबर को खतरनाक स्तर तक गिर गई और दुनिया में सबसे खराब रही. इसके पीछे आंशिक रूप से दिवाली के दौरान फोड़े गए पटाखे भी जिम्मेदार थे. स्विट्जरलैंड के ग्रूप IQAir की लाइव रैंकिंग के अनुसार खबर लिखे जाने के समय दुनिया में सबसे खराब हवा वाले शहरों की लिस्ट में नई दिल्ली टॉप पर है जबकि तीसरे और चौथे नंबर पर कोलकाता और मुंबई का नाम आता है. टॉप 10 में 2 पाकिस्तानी शहर भी हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहर इस प्रकार हैं:
दिल्ली, भारत
लाहौर, पाकिस्तान
कोलकाता, भारत
मुंबई, भारत
ताशकंद, उज़्बेकिस्तान
कराची, पाकिस्तान
कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया
कुवैत सिटी, कुवैत
किंशासा, कांगो
मनीला, फिलिप्पीन्स
भारतीय शहरों के चिंताजनक प्रदूषण आंकड़े दिवाली के एक दिन बाद और भयावह दिख रहे हैं. दिवाली के दिन पूरे भारत में जमकर पटाखे फोड़े गए. ये पटाखे वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले अहम फैक्टर्स में से एक हैं, और हर साल दिवाली पर पटाखे फोड़े जाने के बाद हवा की गुणवत्ता में बड़ी गिरावट देखी जाती है. आने वाले दिनों में दिल्ली को राहत मिलने की संभावना नहीं है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का अनुमान है कि हवा की गुणवत्ता 201 और 400 के बीच के AQI स्तर के साथ "बहुत खराब से खराब" श्रेणी में ही रहेगी.
भारत की राजधानी और इसके पड़ोसी क्षेत्र में हर सर्दियों में ठंड, भारी वायु जाल (एयर ट्रैप), बिल्डिंग्स के बनने से उठने वाले धूल, गाड़ियों ने निकलने वाले धुएं और पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के कारण घने धुंध (स्मॉग) का खतरा रहता है, जिससे दिल्ली के 2 करोड़ निवासियों में से कई लोग सांस की बीमारियों से जूझ रहे हैं. इस समस्या से निपटने के लिए कई बार स्कूलों को बंद कर दिया जाता है, कुछ निर्माण कार्य रोक दिए जाते हैं और निजी वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जाता है.
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