लोकतांत्रिक देश होते हुए भी आखिरकार कैसे सिंगापुर में भ्रष्टाचार ना के बराबर है?
इसके साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े दंड के भी प्रावधान हैं. यानी यहां की सरकार भ्रष्टाचार रोकने के लिए दोनों स्तरों पर काम करती है. इसी नीति के तहत सिंगापुर के प्रधानमंत्री को भी शानदार सैलरी मिलती है. उनकी सैलरी की तुलना हम दुनिया की नामी कंपनी गूगल के सीईओ की सैलरी से कर सकते हैं. प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग दुनिया में सबसे अधिक सैलरी पाने वाले किसी सरकार के प्रमुख हैं.

सिंगापुर में भ्रष्टाचार कम होने के पीछे एक बड़ी वजह यहां की सरकारी नीति है. यहां की सरकार सबसे निचले स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक के कर्मचारियों, अधिकारियों और मंत्रियों को शानदार सैलरी देती है. उसके पीछे तर्क यह है कि अगर इंसान के पास उसकी जरूरत की हर चीज रहेगी तो उसके भ्रष्टचार करने की संभावना कम होगी. इसके साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े दंड के भी प्रावधान हैं. यानी यहां की सरकार भ्रष्टाचार रोकने के लिए दोनों स्तरों पर काम करती है.
इसी नीति के तहत सिंगापुर के प्रधानमंत्री को भी शानदार सैलरी मिलती है. उनकी सैलरी की तुलना हम दुनिया की नामी कंपनी गूगल के सीईओ की सैलरी से कर सकते हैं. प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग दुनिया में सबसे अधिक सैलरी पाने वाले किसी सरकार के प्रमुख हैं. उनको करीब 16.42 लाख अमेरिकी डॉलर की सैलरी मिलती है. रुपये में यह रकम करीब 13.80 करोड़ है. यानी सिंगापुर के पीएम को हर माह करीब 1.15 करोड़ रुपये की सैलरी मिलती है. दूसरी तरफ गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के मौजूदा सीईओ सुंदर पिचाई की सैलरी करीब 20 लाख अमेरिकी डॉलर है. लेकिन, वोंग को जो सरकारी सुविधाएं मिली है वो पिचाई को नहीं मिल सकती.
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