तो माना जाए! कि अब मणिपुर हिंसा पर फिल्म " THE MANIPUR REPORT" कांग्रेस के शासन काल में बनेगी और टैक्स फ्री होगी
धर्म का रास्ता, पूर्वजों के तप बलिदान का रास्ता। बल्कि वह जो पंचतंत्र की कहानी में आता है चार युवकों का जिन्होंने पोथी खोलकर देखा और पीछे पीछे चल पड़े। श्मशान पहुंच गए!तो मीडिया मोदी जी के पीछे पीछे चलता है। और फिल्मों की तारीफ करता है मगर मणिपुर जाकर कोई रिपोर्ट नहीं बनाता है। टीवी स्टूडियो में फिल्मों पर डिबेट होती है मगर असली जल रहे मणिपुर पर नहीं।
मणिपुर को मोदी सरकार ने अपने हाल पर छोड़ रखा है। वहां भाजपा सहित सभी दलों के विधायकों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का साथ छोड़ दिया है। राज्यपाल मणिपुर छोड़कर चली गईं। अनुसुईया उइके बीजेपी की नेता थीं। मगर उन्होंने कहा कि लोग प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर नहीं आने से निराश और दुःखी थे। इससे ज्यादा क्या होगा कि खुद मोदी द्वारा नियुक्त राज्यपाल, भाजपा की नेता रहीं सीधे सीधे प्रधानमंत्री के न जाने पर सवाल उठा रही हैं। मगर प्रधानमंत्री मोदी किसी की सुनने को तैयार नहीं। मनमोहन सिंह को मौन कहते थे। मगर खुद चुप्पी के सारे रिकार्ड तोड़ रहे हैं।डेढ़ साल हो गए। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि नदियों में लाशें तैरने जैसी खबरे है। बीरेन सिंह सरकार अल्पमत में आ गई है। मुख्यमंत्री द्वारा अभी 18 नवंबर को बुलाई गई बैठक में भाजपा के 37 में से 19 विधायक नहीं आए। मणिपुर में 60 सदस्यीय विधानसभा है। इसमें एनडीए बड़े बहुमत 53 विधायकों के साथ सत्ता में थी। इनमें से एनपीए ने 17 नवंबर को ही बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। और एक बात जो कम लोगों को पता है कि वहां राज्यपाल उइके को हटाने के बाद कोई पूर्णकालिक राज्यपाल ही नहीं है। इतनी खराब स्थिति वाले राज्य में असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को अतिरिक्त जिम्मेदारी दे रखी है।प्रधानमंत्री कश्मीर फाइल्स, केरल स्टोरी, द साबरमती रिपोर्ट फिल्मों की तारीफ करते हैं मगर सामने वास्तविक रूप से घट रहे मणिपुर पर आंखे मूंदे हैं। मोदी जी कहते हैं फिल्म देखो मगर असली मणिपुर को नहीं।समझना तो जनता को चाहिए। मगर यह सच है कि जनता अपने आप कम ही समझ पाती है। उसे समझाना पड़ता है। बताना। मगर मीडिया ने तो यह काम बंद कर दिया है। वह तो महजनों येन गत: स पन्था के रास्ते पर चल रहे हैं। मगर उस मार्ग या अर्थ पर नहीं जो युधिष्ठर ने यक्ष के प्रश्न के उत्तर में बताया था। धर्म का रास्ता, पूर्वजों के तप बलिदान का रास्ता। बल्कि वह जो पंचतंत्र की कहानी में आता है चार युवकों का जिन्होंने पोथी खोलकर देखा और पीछे पीछे चल पड़े। श्मशान पहुंच गए!तो मीडिया मोदी जी के पीछे पीछे चलता है। और फिल्मों की तारीफ करता है मगर मणिपुर जाकर कोई रिपोर्ट नहीं बनाता है। टीवी स्टूडियो में फिल्मों पर डिबेट होती है मगर असली जल रहे मणिपुर पर नहीं।
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