अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में अपनी सभी परियोजनाओं को बंद करने का किया ऐलान! बांग्लादेश में मचा हाहाकार
ऐसे में अगर निवेश कम होता है तो यहां पर ऊर्जा संकट भी बढ़ सकता है. अमेरिका के पीछे हटने से यहां पर अब विदेशी निवेशक भी कम हो सकता है. निवेश के माहौल को लेकर अब कई आशंकाएं पैदा हो सकती है. वहीं, बांग्लादेश की सरकार को विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी से भी जूझना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिकी कंपनियों के निवेश से बांग्लादेश को डॉलर मिलते हैं. इससे भी बांग्लादेश के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार (26 जनवरी) को बांग्लादेश को एक बड़ा झटका दिया. उन्होंने बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी तरह की मदद को बंद करने का निर्णय लिया. वहीं, USAID ने बांग्लादेश में अपनी सभी परियोजनाओं को बंद करने की बात कही है. अमेरिका के इस कदम से बांग्लादेश को एक बड़ा झटका लगा है. देश में हुए तख्तापलट के बाद से ही वहां की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है. लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं. आइये जानते हैं कि इसका बांग्लादेश पर क्या असर पड़ेगा.अमेरिका ने बांग्लादेश में काफी ज्यादा निवेश किया है. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 तक बांग्लादेश में अमेरिका का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) लगभग 3 बिलियन डॉलर था. बांग्लादेश के कपड़ा, ऊर्जा, कृषि, और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अमेरिकी कंपनियां प्रमुख निवेशक हैं. इसके अलावा बांग्लादेश के कपड़े उद्योग में भी अमेरिका ने काफी ज्यादा निवेश किया है. बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वस्त्र निर्यातक देश है. इसके अलावा अमेरिका इसके सबसे बड़े बाजारों में से एक है. 2020 में बांग्लादेश के वस्त्र निर्यात का लगभग 20% हिस्सा अमेरिका को किया गया था. ऐसे में अगर अमेरिका में निर्यात कम होता है तो लाखों श्रमिकों को रोजगार से हाथ धोना पड़ सकता है. इससे बांग्लादेश के रोजगार बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा. ऊर्जा और विदेशी निवेशकों को लेकर भी खड़े होंगे सवाल अमेरिका बांग्लादेश की तकनीकी और अनुसंधान में भी मदद करता है. अमेरिका ने बांग्लादेश की ऊर्जा क्षेत्र में टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों की ओर कदम बढ़ाने में मदद की है. ऐसे में अगर निवेश कम होता है तो यहां पर ऊर्जा संकट भी बढ़ सकता है. अमेरिका के पीछे हटने से यहां पर अब विदेशी निवेशक भी कम हो सकता है. निवेश के माहौल को लेकर अब कई आशंकाएं पैदा हो सकती है. वहीं, बांग्लादेश की सरकार को विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी से भी जूझना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिकी कंपनियों के निवेश से बांग्लादेश को डॉलर मिलते हैं. इससे भी बांग्लादेश के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी.
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