सरकारी कर्मचारियों को सरकार का तगड़ा झटका! कोराना काल से रूका हुआ 18 माह के एरियर पर कोई फैंसला नही

केन्द्रीय अश्वनी वैष्णव से 18 माह के एरियर को लेकर बात की गई तो उन्होने कहा अभी ऐसा कोई अप़डेट नहीं है... आपको बता दें कि बजट सत्र के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था, अभी भी केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा एफआरबीएम अधिनियम में दर्शाए स्तर से दोगुने से अधिक चल रहा है. ऐसे में डीए/डीआर का एरियर देना संभव नहीं है. श्रीकुमार बताते हैं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि ऐसे मामलों में कर्मचारी को छह फीसदी ब्याज के साथ उसका भुगतान करना होता है. साथ ही उन्होने कहा था आगे इसके बारे में सोचा जाएगा. इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. 

Oct 18, 2024 - 13:45
सरकारी कर्मचारियों को सरकार का तगड़ा झटका! कोराना काल से रूका हुआ 18 माह के एरियर पर कोई फैंसला नही

 किसानों की एमएसपी की घोषणा करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने एरियर को लेकर कोई बात नहीं की. यानि अंदाजा लगाया जा रहा है कि 18 माह के डीए के एरियर को सरकार ने फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है.  कैबिनेट बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बताया, अभी डीए/डीआर की दरों में तीन प्रतिशत की वृद्धि की गई है. एरियर को लेकर कोई अपडेट नहीं है. आपको बता दें कि कर्मचारियों को उम्मीद थी कि दीवाली से पहले 18 माह का एरियर भी कर्मचारियों की खाते में क्रेडिट किया जाएगा...दरअसल, कोरोनाकाल  के दौरान जब देश क्या पूरी दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही थी. तब केन्द्रीय कर्मचारियों व पेंशनर्स को डीए नहीं दिया गया था. लेकिन पिछले साल राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक में अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने यह मुद्दा उठाया था. जिसमें कहा गया था इस साल दीवाली से पहले ही 18 माह का एरियर कर्मचारियों के खाते में क्रेडिट कर दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जब कैबिनेट के फैसलो की जानकारी देते हुए केन्द्रीय अश्वनी वैष्णव से 18 माह के एरियर को लेकर बात की गई तो उन्होने कहा अभी ऐसा कोई अप़डेट नहीं है... आपको बता दें कि बजट सत्र के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था, अभी भी केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा एफआरबीएम अधिनियम में दर्शाए स्तर से दोगुने से अधिक चल रहा है. ऐसे में डीए/डीआर का एरियर देना संभव नहीं है. श्रीकुमार बताते हैं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि ऐसे मामलों में कर्मचारी को छह फीसदी ब्याज के साथ उसका भुगतान करना होता है. साथ ही उन्होने कहा था आगे इसके बारे में सोचा जाएगा. इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. 

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