तेलंगाना के मंत्री ने छोड़ी मजदूरो के जिंदा होने की उम्मीद! 8 जिदंगियां और राहत बचाव कार्य में लगी केन्द्र से लेकर राज्यों की टीमें!
12 नवंबर 2023 को उत्तरकाशी में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत बन रही सिल्क्यारा-बरकोट सुरंग का 60 मीटर का हिस्सा ढह गया था, जिसमें 41 मजदूर फंस गए थे. उस घटना में भी मलबा हटाना और मजदूरों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन 17 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद सभी मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया था. उस बचाव अभियान में ऑगर मशीन, वर्टिकल ड्रिलिंग और रैट माइनिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल हुआ था.

लगभग 10 मीटर की लंबाई और ठीक इतना ही डायमीटर वाले सुरंग में तेलंगाना में 8 जिंदगी कैद हो गई हैं. राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है. केंद्र से लेकर राज्य सरकार की तरफ से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. उत्तराखंड में 2023 में फंसे निर्माण मजदूरों को बचाने वाले रैट माइनर्स को भी मौके पर लगाया गया है. लेकिन चुनौती गंभीर है. उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए हुए ऑपरेशन से अधिक चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन यह होने वाला है. आइए जानते हैं यह हादसा किस तरह से उत्तराखंड की घटना से भी अधिक गंभीर है और कौन-कौन से चैलेंज मजदूरों की जान बचाने के ऑपरेशन में आने वाले हैं. तेलंगाना का यह हादसा कुछ मायनों में उत्तराखंड के सिल्क्यारा सुरंग हादसे से मिलता-जुलता है. 12 नवंबर 2023 को उत्तरकाशी में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत बन रही सिल्क्यारा-बरकोट सुरंग का 60 मीटर का हिस्सा ढह गया था, जिसमें 41 मजदूर फंस गए थे. उस घटना में भी मलबा हटाना और मजदूरों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन 17 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद सभी मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया था. उस बचाव अभियान में ऑगर मशीन, वर्टिकल ड्रिलिंग और रैट माइनिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल हुआ था.
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