मुख्यमंत्री होकर भी मुख्यमंत्री वाला कोई काम नही कर पाएंगे अरविंद केजरीवाल! सुप्रीम कोर्ट की शर्तो का करना होगा पालन
वह केस की मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. जस्टिस सूर्यकांत ने फैसला पढ़ते वक्त उन्हें खास हिदायत दी कि वह इस केस को लेकर कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। किसी भी गवाह से कोई संपर्क नहीं करेंगे आदि. अरविंद केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट के सामने हर सुनवाई पर मौजूद होना होगा, जबतक कि उन्हें पेशी से छूट न मिले.
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत का हरियाणा विधानसभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, जमानत और चुनाव दो अलग-अलग चीजें हैं। यह सिर्फ अदालत की प्रक्रिया है। सरकार ने कार्रवाई की, उन्हें रिमांड पर लिया और जेल भेज दिया। अब, किसी भी भारतीय नागरिक की तरह, वह अदालत गए और अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। इसका हरियाणा चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है; यह एक अलग मुद्दा है। उनकी जमानत का हरियाणा चुनाव पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस नेता ने कहा, अदालत ने फैसला सुना दिया है और मुझे लगता है कि उन्होंने जो टिप्पणियां की हैं, वे बहुत गंभीर हैं। अदालत से मेरा विनम्र अनुरोध है कि वह थोड़ा और सक्रिय और समयबद्ध तरीके से काम करे। आज की सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का उन पर असर होगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा।उन्होंने कहा, यदि कोर्ट तुरंत हस्तक्षेप करे और सक्रिय हो तो उनकी सभी एजेंसियों का दुरुपयोग पूरी तरह से रुक जाएगा।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें जमानत दे दी है।
केजरीवाल की जमानत याचिका को स्वीकार करने के अलावा, दो न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कथित शराब घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देने वाली उनकी अलग याचिका को खारिज कर दिया। दूसरे न्यायाधीश, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने एक अलग राय लिखी, जिसमें उन्होंने सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के समय पर गंभीर सवाल उठाए।बता दें कि हरियाणा में चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए शुरुआती बातचीत के बावजूद कांग्रेस और आप ने 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए अपने उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची की घोषणा की है।
इन शर्तों का करना होगा पालन
वह केस की मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. जस्टिस सूर्यकांत ने फैसला पढ़ते वक्त उन्हें खास हिदायत दी कि वह इस केस को लेकर कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
किसी भी गवाह से कोई संपर्क नहीं करेंगे आदि.
अरविंद केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट के सामने हर सुनवाई पर मौजूद होना होगा, जबतक कि उन्हें पेशी से छूट न मिले.
अरविंद केजरीवाल अपने दफ्तर नहीं जा सकेंगे और न ही वह किसी सरकारी फाइलों पर दस्तखत कर सकेंगे. हालांकि, बहुत जरूरी होने पर वह फाइल पर दस्तखत कर सकेंगे.
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