ब्रिटेन की डिएगो गार्सिया सहित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने की घोषणा
एक समय कहा जाता था कि बरतानिया हुकूमत का सूरज कभी अस्त नहीं होता. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्ल्ड ऑर्डर बदल गया. अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा. हालांकि भारत से थोड़ी दूरी पर कुछ भूभाग ऐसा है, जो आज भी ब्रिटेन के कब्जे में है. जी हां, वो क्षेत्र है चागोस द्वीप समूह. इसमें हिंद महासागर का डिएगो गार्सिया भी शामिल है, जहां अमेरिका और यूके की सेनाओं ने अपना सैन्य अड्डा बना रखा है. मॉरीशस इसे अपना बताता रहा है. कुछ घंटे पहले 'पिलास' की तरह दिखने वाले इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को लेकर ऐतिहासिक समझौता हुआ है. ब्रिटेन ने डिएगो गार्सिया सहित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने की घोषणा कर दी है. कम लोगों को पता होगा मॉरीशस को 'संपूर्ण आजादी' दिलाने में भारत की बड़ी भूमिका रही.एक सवाल आपके मन में उठ सकता है कि अचानक ऐसा कैसे हुआ. इसकी मांग काफी समय से की जा रही थी. भारत को आजादी मिलने के करीब 21 साल बाद मॉरीशस को ब्रिटेन से आजादी मिली थी. हालांकि ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह को नहीं छोड़ा. अगले कुछ सालों में अंग्रेजों ने वहां के स्थानीय लोगों को भी भगा दिया. बाद में अमेरिका से डील कर ली. मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में गया और मॉरीशस के पक्ष में फैसला आया. अब जाकर ब्रिटेन इलाका छोड़ने को राजी हुआ है.
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