खून-खराबा और हिंसा से भरी फिल्मे ही क्यूं बनाते है अनुराग कश्यप
एक्सीडेंट्स और अंतिम संस्कार से भी उन्हें डर लगता है. इसी वजह से उनकी फिल्मों में हिंसा का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है, लेकिन असल जिंदगी में वो हिंसा से हमेशा दूर रहते हैं. उनकी फिल्मों में ही आपको हिंसा देखने को मिलती है. ऑफ-स्क्रीन वो इसके बिलकुल उलट हैं. अनुराग कश्यप ने ये खुलासा तब किया था जब उनकी फिल्म 'कैनेडी' खूब चर्चाओं में बनी हुई थी. इसकी कहानी एक ऐसे इंसान की होती है, जो हिंसा का आदी हो जाता है.
हिंदी सिनेमा के फेमस डायरेक्टर अनुराग कश्यप आज 10 सितंबर को अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1998 में की थी, जब उन्होंने फिल्म ‘सत्या’ की स्क्रिप्ट लिखी थी. इस फिल्म ने उन्हें काफी पहचान दिलाई. इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन और लेखन किया. वे अपनी यूनिक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. उनकी डायरेक्शन में अब तक कई बेहतरीन और शानदार फिल्में बनी हैं, जिनमें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘देव डी’, ‘रमन राघव 2.0’ शामिल है. इसके अलावा वे अपनी दमदार एक्टिंग के लिए भी जाने जाते हैं, जो अब तक कई फिल्मों में अपने अभिनय का जबरदस्त हुनर दिखा चुके है. हालांकि, अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे रहने वाले अनुराग कश्यप की फिल्मों में बहुत सारा एक्शन होने के साथ-साथ खूब सारा खून-खराबा भी देखने को मिलता है, लेकिन ऐसा क्यों है? अनुराग कश्यप ने बताया था कि उनका हिंसा से बहुत कॉम्प्लिकेटेड रिलेशन है. असल जिंदगी में खून देखकर तो वो बेहोश ही हो जाते हैं. एक्सीडेंट्स और अंतिम संस्कार से भी उन्हें डर लगता है. इसी वजह से उनकी फिल्मों में हिंसा का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है, लेकिन असल जिंदगी में वो हिंसा से हमेशा दूर रहते हैं. उनकी फिल्मों में ही आपको हिंसा देखने को मिलती है. ऑफ-स्क्रीन वो इसके बिलकुल उलट हैं. अनुराग कश्यप ने ये खुलासा तब किया था जब उनकी फिल्म 'कैनेडी' खूब चर्चाओं में बनी हुई थी. इसकी कहानी एक ऐसे इंसान की होती है, जो हिंसा का आदी हो जाता है.
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