बांग्लादेश के पाकिस्तान के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंध! भारत और बांग्लादेश के रिश्तों के बीच बढ़ती दरार

बता दें कि यह विचार पाकिस्तान की सेना के हिसाब से उचित रहता है. पाकिस्तानी सेना अपने देश के लोगों के बीच भारत को दुश्मन बनाकर देश की राजनीति में अपने लिए अहम पद हासिल करती है. इसी का सहारा लेकर पाकिस्तानी सेना ने कभी भी बांग्लादेश में हुए अत्याचारों के लिए कभी भी माफी नहीं मांगी है. बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम हाल के दिनों तक एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है.  

Nov 18, 2024 - 15:29
 बांग्लादेश के पाकिस्तान के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंध! भारत और बांग्लादेश के रिश्तों के बीच बढ़ती दरार

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से देश की व्यापार नीति और विदेश नीति में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. कराची से एक मालवाहक जहाज चट्टोग्राम (Cargo ship from karachi to Bangaldesh) पहुंचा है. यह पहला जहाज है जो पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच यात्रा कर चट्टोग्राम पहुंचा है. शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बांग्लादेश की विदेश और व्यापार नीति में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. इस बार में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर से ढाका में कहा कि ये दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को लेकर बड़ा कदम है. पाकिस्तान अधिकारी का दावा भी है कि यह दोनों देशों में ऐतिहासिक रूप से तनावग्रस्त संबंधों में बदलाव के रूप में देखा जा सकता है. अभी तक दोनों देशों के संबंधों के बीच 1971 की लड़ाई की परछाई काफी अहम रोल अदा कर रही थी.
1971 में नौ महीनों की मुक्ति जुड्ढो के दौरान पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश के लोगों अनगिनत अत्याचार किए थे. करीब 30 लाख लोगों को मार दिया गया था. हजारों लोगों को टॉर्चर किया गया, महिलाओं का रेप किया गया और लाखों लोग अपने घरों को छोड़कर भाग गए. ये पुरानी यादें आज तक दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित करते  आ रहे थे. इसके उलट, पाकिस्तान की ओर से  हमेशा 1971 की बांग्लादेश की घटना के लिए भारत को जिम्मेदार बताया गया. पाकिस्तान का आरोप रहा है कि बांग्लादेश में कोई अत्याचार नहीं था बल्कि यह सब भारत द्वारा प्रायोजित था जिसका मकसद पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना के प्रोजेक्ट को विफल करना था. बता दें कि यह विचार पाकिस्तान की सेना के हिसाब से उचित रहता है. पाकिस्तानी सेना अपने देश के लोगों के बीच भारत को दुश्मन बनाकर देश की राजनीति में अपने लिए अहम पद हासिल करती है. इसी का सहारा लेकर पाकिस्तानी सेना ने कभी भी बांग्लादेश में हुए अत्याचारों के लिए कभी भी माफी नहीं मांगी है. बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम हाल के दिनों तक एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है.  

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