कभी चौधरी देवीलाल का हरियाणा में बजता था डंका? आज उनके परिवार का राजनीतिक अस्तित्व ही संकट में आ गया!
जेजेपी और आईएनएलडी के वोट शेयर में भी भारी गिरावट आई है. पिछली बार 10 सीटें जीतकर लाने वाली जननायक जनता पार्टी को इस बार एक प्रतिशत वोट तक नहीं मिला है. वहीं, आईएनएलडी 19 से एक सीट पर आई और इस बार भी केवल दो सीटें ही ला सकी है. दोनों स्थानीय दलों के खराब प्रदर्शन का नतीजा यह रहा कि हरियाणा एक बायपोलर राज्य बन गया है.
चौधरी देवीलाल की हरियाणा और देश की राजनीति में तूती बोलती थी। उनकी पहचान एक बड़े किसान नेता की थी। उनका विवाह हरकी देवी से हुआ। हरकी देवी और देवीलाल के चार बेटे हुए। ओम प्रकाश चौटाला, रणजीत सिंह, प्रताप सिंह और जगदीश सिंह। ताऊ के नाम से चर्चित देवीलाल दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। वहीं दो दिसंबर 1989 से लेकर 21 जून 1991 तक वो देश के उपप्रधानमंत्री रहे। 1952 में वो पहली बार कांग्रेस से विधायक बने। हालांकि उपप्रधानमंत्री बनने के बाद वो लगातार तीन लोकसभा चुनाव हारे भी। 1996 में देवीलाल ने ही इंडियन नेशनल लोक दल की स्थापना की। 1971 तक कांग्रेस में रहने वाले चौधरी देवीलाल ने 1977 में जनता पार्टी जॉइन कर ली थी। 1987 में उन्होंने इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) की स्थापना की। 1989 में जब केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी तो हरियाणा का ताऊ बनने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी तक छोड़ दी और उप प्रधानमंत्री का पद लिया था। तब उन्होंने हरियाणा की कमान अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को सौंप दी थी। 1998 में वह राज्यसभा सदस्य बने और 2001 में राज्यसभा सांसद रहते हुए उनका निधन हो गया।हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी 48 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी और कांग्रेस 37 सीटों के साथ फिर से विपक्ष में आ गई. हालांकि, यहां के क्षेत्रीय दल दुष्यंत चौटाल की जेजेपी और अभय चौटाला की आईएनएलडी को अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए भी लड़ना पड़ रहा है. इस बार के चुनाव में दोनों पार्टियों से जनता खफा दिखी. दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला अपनी-अपनी सीटें भी नहीं बचा सके. वहीं, जेजेपी और आईएनएलडी के वोट शेयर में भी भारी गिरावट आई है. पिछली बार 10 सीटें जीतकर लाने वाली जननायक जनता पार्टी को इस बार एक प्रतिशत वोट तक नहीं मिला है. वहीं, आईएनएलडी 19 से एक सीट पर आई और इस बार भी केवल दो सीटें ही ला सकी है. दोनों स्थानीय दलों के खराब प्रदर्शन का नतीजा यह रहा कि हरियाणा एक बायपोलर राज्य बन गया है. यानी यहां दो बड़ी पार्टियों का ही मुकाबला है- बीजेपी और कांग्रेस.जेजेपी और आईएनएलडी का वोट शेयर इस बार कांग्रेस के खाते में गया. इसके बावजूद कांग्रेस के लिए ये सरकार बनाने के लिए नाकाफी रहा. वहीं, बीजेपी ने लगभग सभी क्षेत्रों में अपना वोट शेयर मेनटेन किया.
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