देश के शहरी मध्यवर्ग की खरीदारी क्षमता हुई कम! जीडीपी पर पड़ा गहरा असर-सरकार कैसे पार पाएगी घटती जीडीपी से
आंकड़ों के आधार पर अगर हम बात करें तो इस दौरान केवल 5.4 फीसदी जीडीपी बढ़ने के लक्षण हैं. जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे कम है. इसका सबसे बड़ा कारण देश के शहरी मध्यवर्ग की खरीदारी क्षमता का कम पड़ जाना है. महंगाई बढ़ने की तुलना में आमदनी के नहीं बढ़ने के कारण यह वर्ग जीवन की जरूरतों पर कम खर्च करने के लिए मजबूर हो गया है. देश के शहरी मध्यवर्ग की खरीदारी क्षमता हुई कम! जीडीपी पर पड़ा गहरा असर-सरकार कैसे पार पाएगी घटती जीडीपी से
अभी हाल ही में आए जीडीपी आंकड़ों ने भारतीयों को निराश किया था. इस झटके से लोग अभी उबरे भी नहीं थे कि फिच ने देश को एक और झटका दिया है. इस इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी ने 2024-25 के वित्तीय वर्ष में भारत के जीडीपी में तेजी का अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.4 फीसदी कर दिया है. हालांकि फिच ने कई संकेतों के आधार पर इकोनॉमी में गति बने रहने की उम्मीद जताई है.फिच का मानना है कि उपभोक्ता बाजार में देशवासियों की जरूरतों के कारण बाजार में खरीदारी होते रहने से इकोनॉमी में सुधार के लक्षण दिखते रहेंगे. वहीं सरकार की ओर से डिजिटलाइजेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर को दी जा रही मदद विकास का ग्रोथ इंजन बनेगा. फिच ने हालांकि वित्तीय वर्ष 2026 के लिए इस अनुमान को 2025 की तुलना में थोड़ा बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया है. जो वित्तीय वर्ष 2024 के अनुमान 8.2 फीसदी से काफी कम है. फिच ने इस अनुमान के साथ यह भी सफाई दी है कि एसेट परफॉर्मेंस के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विकास के मोर्चे पर गति बनी रहेगी. जीडीपी बढ़ने के हिसाब से अगर देखा जाए तो चालू साल की दूसरी तिमाही काफी खराब रही. आंकड़ों के आधार पर अगर हम बात करें तो इस दौरान केवल 5.4 फीसदी जीडीपी बढ़ने के लक्षण हैं. जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे कम है. इसका सबसे बड़ा कारण देश के शहरी मध्यवर्ग की खरीदारी क्षमता का कम पड़ जाना है. महंगाई बढ़ने की तुलना में आमदनी के नहीं बढ़ने के कारण यह वर्ग जीवन की जरूरतों पर कम खर्च करने के लिए मजबूर हो गया है. देश के शहरी मध्यवर्ग की खरीदारी क्षमता हुई कम! जीडीपी पर पड़ा गहरा असर-सरकार कैसे पार पाएगी घटती जीडीपी से
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