भारत में एसआईपी खाते बंद होने के लगातार नए रिकॉर्ड! जनवरी में 61 लाख 33 हजार खाते बंद होने का रिकॉर्ड अब तक सबसे हाई
एसआईपी खाते बंद कराने के निवेशकों के रुख ने बाजार के दिग्गजों को चिंता में डाल दिया है. शेयर बाजार के दिग्गजों की चिंता इस बात को लेकर है कि पहले एसआईपी निवेशक बाजार की तात्कालिक उठापटक से प्रभावित नहीं होते थे और लॉन्ग टर्म निवेश के जरिए अच्छा रिटर्न हासिल करते थे. लेकिन एसआईपी निवेशकों में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट से वेल्थ पैदा करने का यह रुख खत्म हो रहा है. एसआईपी इन्वेस्टर अपने इन्वेस्टमेंट को रुपये के मूल्य के आधार पर लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग में रिटर्न को देखते हैं. इसके बावजूद खाता खुलवाने में कमी चिंताजनक है.

चुअल फंड ने रिटर्न देने में थोड़ी कमी क्या कर दी कि निवेशकों में घबराहट का आलम पैदा हो गया है. यहां तक कि एसआईपी को निवेश की पहली सीढ़ी मानने वाले निवेशकों में पैसा डूबने का डर पैदा हो गया है. इस कारण एसआईपी यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के खाते धड़ाधड़ बंद हो रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एंफी के डाटा के मुताबिक, केवल जनवरी महीने में 61 लाख 33 हजार लोगों ने अपने एसआईपी खाते बंद करा लिए. वहीं केवल 56 लाख 19 हजार लोगों ने अपने नए एसआईपी खाते खोले. इस तरह एसआईपी में निवेश करने वालों की संख्या की तुलना में एसआईपी में निवेश बंद करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अगर इसी तरह से एसआईपी खाते बंद होने की तादाद लगातार बढ़ती रही तो भारत में पूरी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्रीज के लिए संकट पैदा हो सकता है. भारत में एसआईपी खाते बंद होने के लगातार नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. जनवरी में 61 लाख 33 हजार खाते बंद होने का रिकॉर्ड अब तक सबसे हाई है. दिसबंर महीने में भी एसआईपी खाते बंद कराने के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए. दिसंबर महीने में 45 लाख एसआईपी खाते टर्मिनेट किए गए. जो उस समय में एक महीने में ऑल टाइम हाई था. इससे पहले मई 2024 में 44 लाख एसआईपी खाते बंद हुए थे.
एसआईपी खाते बंद कराने के निवेशकों के रुख ने बाजार के दिग्गजों को चिंता में डाल दिया है. शेयर बाजार के दिग्गजों की चिंता इस बात को लेकर है कि पहले एसआईपी निवेशक बाजार की तात्कालिक उठापटक से प्रभावित नहीं होते थे और लॉन्ग टर्म निवेश के जरिए अच्छा रिटर्न हासिल करते थे. लेकिन एसआईपी निवेशकों में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट से वेल्थ पैदा करने का यह रुख खत्म हो रहा है. एसआईपी इन्वेस्टर अपने इन्वेस्टमेंट को रुपये के मूल्य के आधार पर लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग में रिटर्न को देखते हैं. इसके बावजूद खाता खुलवाने में कमी चिंताजनक है.
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