बिहार से पांच बार के विधायक नितिन नबीन को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर क्या भाजपा ने आरएसएस को दिया झटका
हालाँकि नितिन गडकरी को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का क़रीबी माना जाता है. जबकि नितिन नबीन की संघ से कोई दूरी भले ही न हो, लेकिन उन्हें संघ का क़रीबी भी नहीं समझा जाता है."नितिन गडकरी का दौर बीजेपी में आरएसएस के क़रीबियों का दौर था. अब का युग संघ के क़रीबी का युग नहीं है. अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह के क़रीबी का युग आ गया है."
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन ने सोमवार (15 दिसंबर, 2025) को दिल्ली हेडक्वार्टर में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है. इस दौरान उनके साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद थे. वह थोड़ी देर पहले ही पटना से दिल्ली पहुंचे हैं.
नई दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मुख्यालय में नितिन नबीन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर पदभार ग्रहण करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें गुलदस्ता देकर बधाई दी. वहीं, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने नितिन नबीन को गुलदस्ता देने के बाद भाजपा का पट्टा पहनाकर सम्मानित किया. वहीं, इस दौरान केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भाजपा के लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद समेत पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभालने के लिए हार्दिक बधाई दी.बीजेपी के लिए उसके नए अध्यक्ष का पद काफ़ी अहम माना जाता है. ख़ासकर अगले साल पश्चिम बंगाल और उसके बाद 2027 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों को देखते हुए, यह ज़िम्मेदारी काफ़ी बड़ी होने वाली है.
बीजेपी में कभी किसी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए वोटिंग नहीं हुई है.
पार्टी की कोशिश ये होती है कि बीजेपी और संघ के लोग आपस में विचार विमर्श करते हैं और पार्टी की ज़रूरत को ध्यान में रखकर अध्यक्ष का चयन किया जाता है.
"जब नितिन गडगरी को बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था, तो उनकी भी राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका नहीं थी. अब तो बीजेपी भविष्य के लिए अपना नेतृत्व तैयार कर रही है, जिसमें कांग्रेस काफ़ी पीछे है."
हालाँकि नितिन गडकरी को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का क़रीबी माना जाता है. जबकि नितिन नबीन की संघ से कोई दूरी भले ही न हो, लेकिन उन्हें संघ का क़रीबी भी नहीं समझा जाता है."नितिन गडकरी का दौर बीजेपी में आरएसएस के क़रीबियों का दौर था. अब का युग संघ के क़रीबी का युग नहीं है. अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह के क़रीबी का युग आ गया है."
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