सरकारी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल नही चुका पा रही पब्लिक सेक्टर बैंको का 8,585 करोड़ रुपये का कर्ज! खबर बाहर आते ही एमटीएनएल के शेयर हुए धड़ाम

MTNL भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है. उस पर टोटल 34,484 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसमें 8,585 करोड़ रुपये के लोन के साथ-साथ 24,071 करोड़ रुपये का सॉवरेन गारंटी बॉन्ड और उस पर ब्याज के भुगतान के लिए दूरसंचार विभाग से लिया गया 1,828 करोड़ रुपये का लोन भी शामिल है. सरकार ने पहले कंपनी को आर्थिक मदद दी है, लेकिन जिस तरह से कंपनी पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है उसे देखते हुए इसकी रिकवरी पर सवाल पैदा होने लगे हैं.

Jul 16, 2025 - 15:56
सरकारी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल नही चुका पा रही पब्लिक सेक्टर बैंको का 8,585 करोड़ रुपये का कर्ज! खबर बाहर आते ही एमटीएनएल के शेयर हुए धड़ाम

सरकारी टेलीकॉम कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) कर्ज में डूबी है. कंपनी ने अपने रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया कि वह इस वक्त आर्थिक संकट का सामना कर रही है. कंपनी ने बताया कि वह सात पब्लिक सेक्टर के बैंकों से लिए गए 8,585 करोड़ रुपये के लोन और उस पर ब्याज का पेमेंट करने से चूक गई है.
मंगलवार को एक रेगुलेटरी फाइलिंग में MTNL ने कहा कि उसने कुछ बड़े सरकारी बैंकों से लोन लिया था. अब वह ब्याज सहित इसकी पूरी रकम चुकाने में नाकाम साबित हुई है. इस खुलासे का असर MTNL के शेयरों पर दिखा. मंगलवार को MTNL के शेयर 4.80 परसेंट टूटकर 49.59 रुपये पर बंद हुए, जो पिछले सेशन से 2.50 रुपये कम है. फाइलिंग में जिन बैंकों के नाम हैंउनमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं. कंपनी ने बताया कि लोन पेमेंट में यह डिफॉल्ट अगस्त 2024 से फरवरी 2025 के दौरान हुई है. कुल बकाए राशि में 7,794.34 करोड़ का मूलधन और 790.59 करोड़ रुपये का ब्याज है.
इनमें सबसे अधिक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 3,733.22 करोड़ रुपये का बकाया है और इसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक 2,434.13 करोड़ बकाया है. MTNL भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है. उस पर टोटल 34,484 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसमें 8,585 करोड़ रुपये के लोन के साथ-साथ 24,071 करोड़ रुपये का सॉवरेन गारंटी बॉन्ड और उस पर ब्याज के भुगतान के लिए दूरसंचार विभाग से लिया गया 1,828 करोड़ रुपये का लोन भी शामिल है.
सरकार ने पहले कंपनी को आर्थिक मदद दी है, लेकिन जिस तरह से कंपनी पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है उसे देखते हुए इसकी रिकवरी पर सवाल पैदा होने लगे हैं.

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