दिल्ली में बाढ़ का खतरा! साल 1978 जैसे हालात पैदा होने की स्थिति
उस बाढ़ ने 18 लोगों की जान ले ली थी और हजारों को बेघर कर दिया। आज, एक बार फिर यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर से ऊपर जाते हुए दिख रहा है, तो दिल्लीवालों में वही पुराना डर बैठ रहा है। प्रशासन लोगों को सुरक्षित रहने की सलाह दे रहा है।
देश की राजधानी दिल्ली की गलियों में एक बार फिर डर की आहट देखी जा रही है। यह डर बारिश का नहीं, बल्कि यमुना नदी का है, जो इस शहर की पहचान है। यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। भारी बारिश और हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे दिल्ली के कई इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। ऐसे में आसमान से बरसती बूंदें अब लोगों के दिलों में घबराहट पैदा कर रही हैं, क्योंकि उन्हें याद है साल 2023 का वो मंजर, जब यमुना ने अपने ही शहर को पानी में डुबो दिया था।
आज भी उन लोगों की आंखों में वो रात घूमती है, जब घरों में 8-8 फुट तक पानी भर गया था। गलियों में नाव चलने लगी थीं और घरों के अंदर रखे सामान पानी में तैर रहे थे। लोग अपनी छतों पर खड़े होकर बस बेबसी से सबकुछ डूबते हुए देख रहे थे। इस साल यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था, जो एक रिकॉर्ड था। वो सिर्फ एक बाढ़ नहीं थी, वो दिल्ली के लिए एक 'जल प्रलय' था।1978 में भी दिल्ली ने इसी तरह का दर्द सहा था। उस साल यमुना ने अपनी सारी सीमाएं तोड़ दी थीं। 5-6 सितंबर 1978 को जलस्तर 207.49 मीटर तक पहुंच गया था। दिल्ली के मॉडल टाउन, मुखर्जी नगर जैसे इलाके पानी में समा गए थे। उस बाढ़ ने 18 लोगों की जान ले ली थी और हजारों को बेघर कर दिया।
आज, एक बार फिर यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर से ऊपर जाते हुए दिख रहा है, तो दिल्लीवालों में वही पुराना डर बैठ रहा है। प्रशासन लोगों को सुरक्षित रहने की सलाह दे रहा है।
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