उपमुख्यमंत्री का मतलब ना कोई पावर और ना ही कोई रूतबा! बस गठबंधन में बनाए रखने की मजबूरी
एनसीपी के कार्ड में शिवसेना के उपमुख्यमंत्री का नाम ही नहीं है. जबकि शिवसेना ने अपने कार्ड में सिर्फ मुख्यमंत्री का नाम लिखा है. इससे पहले भी पोर्टफोलियो को लेकर शिवसेना और एनसीपी में मतभेद खुलकर सामने आ चुके हैं. एनसीपी सरकार में शिवसेना जितने ही पोर्टफोलियो की मांग कर रही है. यहां बताना जरूरी है कि शिंदे की शिवसेना ने एनसीपी से अधिक सीटें जीती हैं.
महाराष्ट्र में सीएम का फैसला हो गया है और देवेंद्र फडणवीस दूसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बनने वाले हैं. इसके साथ ही दो डिप्टी सीएम बन रहे हैं. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम एकनाथ शिंदे और एनसीपी पार्टी के सर्वेसर्वा अजीत पवार डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने वाले हैं. इसके साथ ही देश में एक बड़ा संयोग बन रहा है कि पहली बार देश में एक साथ 26 डिप्टी सीएम हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश-बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य
बिहार- सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा
राजस्थान-प्रेमचंद्र बैरवा और दीया कुमारी
मध्य प्रदेश-जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला
छत्तीसगढ़- अरुण साव और विजय शर्मा
हिमाचल प्रदेश - मुकेश अग्निहोत्री
कर्नाटक- डीके शिवकुमार
ओडिशा -के सिंहदेव और पार्वती परिदा
आंध्र प्रदेश- पवन कल्याण
अरुणाचल प्रदेश- चाउना मीन
जम्मू कश्मीर-सुरेंद्र चौधरी
मेघालय- पी ताइसोंग और एस धर
नगालैंड-वाई पैटन और टीआर जेलियांग
तमिलनाडु- उदयनिधि स्टालिन
तेलंगाना-बी विक्रमार्क
महाराष्ट्र- अजीत पवार और एकनाथ शिंदे
इस तरह देश के 28 राज्यों में से 16 राज्यों से 26 डिप्टी सीएम हैं. इनमें से 9 राज्यों में दो डिप्टी सीएम और 7 राज्यों में एक डिप्टी सीएम है. डिप्टी सीएम के हाथ में कोई बहुत ज्यादा पॉवर नहीं होती है और राज्य के सारे फैसले सीएम ही लेता है लेकिन गठबंधन के इस दौर में सभी दलों को संतुष्ट करने के लिए डिप्टी सीएम एक सम्मानजनक पद माना जाता है. राजनीतिक दल भी सभी समीकरण साधने के लिए डिप्टी सीएम बना रहे हैं. यही वजह नजर आती है कि इस समय देश में सबसे ज्यादा 26 डिप्टी सीएम हैं.
288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना ने 57 सीटें जीती हैं. इसके बावजूद पार्टी प्रमुख शिंदे उपमुख्यमंत्री पद संभालने को लेकर उत्सुक नहीं हैं. वे करीब ढाई साल तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इससे पहले बुधवार को उदय सामंत ने कहा था, ‘एकनाथ शिंदे की इच्छा से ज्यादा हमारी है. हम यानी करीब 60-61 विधायक (निर्दलीय समेत) चाहते हैं कि शिंदे सरकार में हमारा नेतृत्व करें. यही हमारा मजबूत पक्ष है. इसमें कोई अगर-मगर नहीं है. शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनना चाहिए और यही शिवसैनिकों, विधायकों और सांसदों की इच्छा है.’उधर, देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह से पहले अजित गुट वाली एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच मतभेद सामने आया है. एनसीपी के कार्ड में शिवसेना के उपमुख्यमंत्री का नाम ही नहीं है. जबकि शिवसेना ने अपने कार्ड में सिर्फ मुख्यमंत्री का नाम लिखा है. इससे पहले भी पोर्टफोलियो को लेकर शिवसेना और एनसीपी में मतभेद खुलकर सामने आ चुके हैं. एनसीपी सरकार में शिवसेना जितने ही पोर्टफोलियो की मांग कर रही है. यहां बताना जरूरी है कि शिंदे की शिवसेना ने एनसीपी से अधिक सीटें जीती हैं.
What's Your Reaction?