सिंगारपुर-के-साथ-रिश्ते-बेहतर-बनाने-की-दिशा-में-मोदी-बढ़ाऐंगे-एक-ओर-कदम
भारत और सिंगापुर के रिस्ते गुटनिरपेक्ष आंदोलन के समय से ही रहे हैं. अगस्त 1965 में सिंगापुर की आजादी के वक्त से ही दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती रही है. सिंगापुर बनने के महज 15 दिन बाद ही भारत ने इसके साथ औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे. यह करने वाला भारत दुनिया चुनिंदा देशों में एक था और समय के साथ ये संबंध और मजबूत होता गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ब्रुनेई की यात्रा पर रवाना हो गए. वहां से फिर वह 4 सितंबर को सिंगापुर जाएंगे. पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में सिंगापुर की यात्रा की थी और अब करीब छह साल बाद वह एक बार फिर से सिंगापुर की यात्रा जाने वाले हैं. सिंगापुर दुनिया भर में भारत का छठा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. यह देश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का एक प्रमुख स्रोत है. पिछले ही साल यहां से 11.77 अरब अमरीकी डॉलर का एफडीआई आया था. ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंध और भी बड़े स्तर पर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि दोनों ही देश टेक्नोलॉजी, स्किल डेव्लपमेंट और क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग के नए रास्ते तलाश रहे हैं.
भारत और सिंगापुर के रिस्ते गुटनिरपेक्ष आंदोलन के समय से ही रहे हैं. अगस्त 1965 में सिंगापुर की आजादी के वक्त से ही दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती रही है. सिंगापुर बनने के महज 15 दिन बाद ही भारत ने इसके साथ औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे. यह करने वाला भारत दुनिया चुनिंदा देशों में एक था और समय के साथ ये संबंध और मजबूत होता गए.
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