मानसून सत्र में "ऑपरेशन सिंदूर" के साथ-साथ गृहमंत्री अमित शाह ने बताया "ऑपरेशन महादेव" के बारे में! क्या है ऑपरेशन महादेव

अमित शाह ने कहा कि 22 मई को आईबी के पास रांची गांव क्षेत्र के अंदर आतंकवादी की उपस्थिति की सूचना मिली. आईबी और सेना की ओर से इस क्षेत्र में आतंकियों की उपस्थिति की पुख्ता जानकारी के लिए 22 मई से 22 जुलाई, 2025 तक लगातार प्रयास किए गए. फिर 22 जुलाई को सेना को सफलता मिली और सेंसर की मदद से आतंकियों की उपस्थिति की जानकारी मिल गई. तब देश की सेना और पुलिस ने एक साथ आतंकियों को घेरने का काम किया और ऑपरेशन महादेव को सफल तक तीनों आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया.

Jul 29, 2025 - 15:15
Jul 29, 2025 - 15:16
मानसून सत्र में "ऑपरेशन सिंदूर" के साथ-साथ गृहमंत्री अमित शाह ने बताया "ऑपरेशन महादेव" के बारे में! क्या है ऑपरेशन महादेव

मानसून सत्र में मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को देश के गृहमंत्री अमित शाह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' और सोमवार (28 जुलाई, 2025) को हुए 'ऑपरेशन महादेव' पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि मैं पूरे देश को कल के ऑपरेशन महादेव की जानकारी देना चाहता हूं. अमित शाह ने कहा कि 'ऑपरेशन महादेव' में सुलेमान उर्फ फैजल, अफगान और जिब्रान, तीन आतंकवादी सेना और सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के संयुक्त अभियान में मारे गए.
अमित शाह ने कहा कि सुलेमान लश्कर ए तैयबा का कमांडर था. पहगाम हमले में और गगनगीर आतंकी हमले में सुलेमान शामिल था, इसके कई सबूत हमारी एजेंसियों के पास हैं. इसी के साथ ही अफगान लश्कर ए तैयबा का आतंकवादी था और जिब्रान भी आतंकवादी था. विस्तार से ऑपरेशन महादेव के बारे में बताते हुए गृहमंत्री ने कहा, 'ऑपरेशन महादेव की शुरुआत 22 मई, 2025 को हुई. एक प्रकार से जिस दिन पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, उसी दिन जम्मू कश्मीर में एक सुरक्षा मीटिंग हुई थी.' उन्होंने कहा, 'जिस दिन रात को 1 बजे हमला हुआ, उस दिन सुबह 5 बजे मैं श्रीनगर पहुंच गया था. भारतीय सेना, जम्मू कश्मीर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसा प्लानिंग बनाई, ताकि आतंकवादी देश छोड़कर पाकिस्तान भाग ना सकें. अमित शाह ने कहा कि 22 मई को आईबी के पास रांची गांव क्षेत्र के अंदर आतंकवादी की उपस्थिति की सूचना मिली. आईबी और सेना की ओर से इस क्षेत्र में आतंकियों की उपस्थिति की पुख्ता जानकारी के लिए 22 मई से 22 जुलाई, 2025 तक लगातार प्रयास किए गए. फिर 22 जुलाई को सेना को सफलता मिली और सेंसर की मदद से आतंकियों की उपस्थिति की जानकारी मिल गई. तब देश की सेना और पुलिस ने एक साथ आतंकियों को घेरने का काम किया और ऑपरेशन महादेव को सफल तक तीनों आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया.

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