1 मार्च 2027 से होगी जाति जनगणना शुरू! पहले चरण में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जाति जनगणना

यानी मैदानी राज्यों में मार्च 2027 से जाति जनगणना शुरू होगी और पहाड़ी राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 से जाति जनगणना शुरू होगी।जनगणना 2021 को भी इसी तरह दो चरणों में आयोजित करने का प्रस्ताव था, पहला चरण अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान और दूसरा चरण फरवरी 2021 में आयोजित किया जाना था। 2021 में आयोजित की जाने वाली जनगणना के पहले चरण की सभी तैयारियां पूरी हो गई थीं और 1 अप्रैल, 2020 से कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रीय कार्य शुरू होने वाला था।

Jun 4, 2025 - 18:13
1 मार्च 2027 से होगी जाति जनगणना शुरू! पहले चरण में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जाति जनगणना

जाति जनगणना को लेकर सूत्रों के हवाले से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। जाति जनगणना की तारीख का पता लग गया है। 1 मार्च 2027 से जाति जनगणना शुरू हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, जाति जनगणना 2 चरणों में कराई जाएगी। पहले 4 राज्यों में जाति जनगणना शुरू होगी। पहले चरण में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जाति जनगणना होगी। इसकी शुरुआत 1 अक्टूबर, 2026 से होगी। वहीं दूसरे चरण में अन्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में जाति जनगणना शुरू होगी। इसकी शुरुआत 1 मार्च, 2027 से होगी। यानी मैदानी राज्यों में मार्च 2027 से जाति जनगणना शुरू होगी और पहाड़ी राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 से जाति जनगणना शुरू होगी।जनगणना 2021 को भी इसी तरह दो चरणों में आयोजित करने का प्रस्ताव था, पहला चरण अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान और दूसरा चरण फरवरी 2021 में आयोजित किया जाना था। 2021 में आयोजित की जाने वाली जनगणना के पहले चरण की सभी तैयारियां पूरी हो गई थीं और 1 अप्रैल, 2020 से कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रीय कार्य शुरू होने वाला था। हालांकि, देश भर में COVID-19 महामारी के प्रकोप के कारण जनगणना का काम स्थगित करना पड़ा। सरकार ने हालही में ये फैसला लिया था कि वह जाति जनगणना करवाएगी। दरअसल 1881 से 1931 तक नियमित रूप से होने वाली जाति गणना को 1951 की पहली जनगणना में रोक दिया गया था। साल 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) के तहत जाति के आंकड़े जुटाए गए लेकिन इस डाटा का पूरी तरह प्रयोग नहीं किया गया।जाति जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी देश या क्षेत्र की जनसंख्या का सर्वे करके विभिन्न जातियों और सामाजिक समूहों की संख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और अन्य जनसांख्यिकीय जानकारी इकट्ठा की जाती है। इसका इस्तेमाल तमाम नीतियों और योजनाओं में होता है, जिसका लाभ जनता को भी मिलता है और सरकार को भी सही आंकड़े पता लगते हैं।

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